कोंडागांव।
सायबर अपराधियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए फरसगांव पुलिस ने 11 राज्यों में फैले ऑनलाइन ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। इस अंतर्राज्यीय गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी का आरोप है। पुलिस की इस कार्रवाई को साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी सफलता माना जा रहा है।
विशेष टीम की निगरानी में गिरोह चढ़ा पुलिस के हत्थे

इस कार्रवाई का नेतृत्व एसडीओपी फरसगांव अभिनव उपाध्याय ने किया, जिनके मार्गदर्शन में फरसगांव थाना प्रभारी संजय सिन्दे और सायबर सेल के विशेषज्ञों की एक विशेष टीम गठित की गई थी। लंबे समय से चल रही निगरानी और तकनीकी विश्लेषण के बाद आरोपियों को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया।
ऐसे हुआ पूरे नेटवर्क का खुलासा
पुलिस मुख्यालय रायपुर द्वारा साइबर अपराध रोकने को लेकर दिए गए निर्देशों के पालन में, कोंडागांव एसपी वाय. अक्षय कुमार (IPS) और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कौशलेन्द्र देव पटेल के मार्गदर्शन में कार्रवाई की गई। जांच की शुरुआत थाना फरसगांव में दर्ज अपराध क्रमांक 46/2025 से हुई, जिसमें भावेश तारम नामक एक आरोपी पकड़ा गया। पूछताछ में उसने पूरे गिरोह के लेयर सिस्टम का खुलासा किया:
- लेयर-1: म्यूल एकाउंट खुलवाने वाले लोग
- लेयर-2: एकाउंट खरीदने और बेचने वाले बिचौलिए
- लेयर-3 और 4: असली स्कैमर जो ठगी की योजना बनाकर उसे अंजाम देते हैं
यह गिरोह आम लोगों को कुछ पैसों का लालच देकर उनके बैंक खातों, एटीएम कार्ड, पासबुक और मोबाइल सिम कार्ड अपने कब्जे में लेता था और फिर उनका इस्तेमाल बड़ी ऑनलाइन ठगी में करता था।
एक ही गिरोह से जुड़े चार केस
फरसगांव थाना में दर्ज चार अलग-अलग मामलों (क्र. 46/2025, 82/2025, 83/2025, 84/2025) की जांच में यह बात सामने आई कि सभी घटनाओं की कार्यप्रणाली एक जैसी थी। इन सभी मामलों में फर्जी म्यूल एकाउंट का इस्तेमाल कर देश के विभिन्न राज्यों में ऑनलाइन फ्रॉड किया गया।
म्यूल एकाउंट क्या होता है?
म्यूल एकाउंट वह बैंक खाता होता है, जो किसी आम व्यक्ति के नाम पर खोला जाता है, लेकिन उसे असल में स्कैमर कंट्रोल करते हैं। खाताधारक से पहचान पत्र लेकर मामूली रकम देकर ये खाते बनाए जाते हैं, पर बाद में कानूनी कार्रवाई का जिम्मा उस व्यक्ति पर भी आ सकता है, जिसके नाम पर खाता है।
पुलिस की नागरिकों से अपील
फरसगांव पुलिस ने इस कार्रवाई को एक बड़ी उपलब्धि बताया है और सभी नागरिकों से अपील की है कि किसी के कहने या लालच में आकर अपना बैंक खाता, एटीएम, पासबुक या मोबाइल सिम किसी को भी न दें। ऐसा करना आपको साइबर अपराध का सहभागी बना सकता है, जिसकी सज़ा गंभीर हो सकती है।
पुलिस का कहना है कि इस गिरोह से जुड़े और भी नामों का जल्द खुलासा हो सकता है और आगे की जांच जारी है।
सायबर अपराधियों पर बड़ी कार्रवाई करते हुए फरसगांव पुलिस ने 11 राज्यों में फैले ऑनलाइन ठगी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। इस अंतर्राज्यीय गिरोह के पांच सदस्यों को गिरफ्तार किया गया है, जिन पर करीब 1 करोड़ 70 लाख रुपये की ऑनलाइन धोखाधड़ी का आरोप है। पुलिस की इस कार्रवाई को साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी सफलता माना जा रहा है।
विशेष टीम की निगरानी में गिरोह चढ़ा पुलिस के हत्थे
इस कार्रवाई का नेतृत्व एसडीओपी फरसगांव अभिनव उपाध्याय ने किया, जिनके मार्गदर्शन में फरसगांव थाना प्रभारी संजय सिन्दे और सायबर सेल के विशेषज्ञों की एक विशेष टीम गठित की गई थी। लंबे समय से चल रही निगरानी और तकनीकी विश्लेषण के बाद आरोपियों को छत्तीसगढ़ के बिलासपुर और उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया।
ऐसे हुआ पूरे नेटवर्क का खुलासा
पुलिस मुख्यालय रायपुर द्वारा साइबर अपराध रोकने को लेकर दिए गए निर्देशों के पालन में, कोंडागांव एसपी वाय. अक्षय कुमार (IPS) और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कौशलेन्द्र देव पटेल के मार्गदर्शन में कार्रवाई की गई। जांच की शुरुआत थाना फरसगांव में दर्ज अपराध क्रमांक 46/2025 से हुई, जिसमें भावेश तारम नामक एक आरोपी पकड़ा गया। पूछताछ में उसने पूरे गिरोह के लेयर सिस्टम का खुलासा किया:
- लेयर-1: म्यूल एकाउंट खुलवाने वाले लोग
- लेयर-2: एकाउंट खरीदने और बेचने वाले बिचौलिए
- लेयर-3 और 4: असली स्कैमर जो ठगी की योजना बनाकर उसे अंजाम देते हैं
यह गिरोह आम लोगों को कुछ पैसों का लालच देकर उनके बैंक खातों, एटीएम कार्ड, पासबुक और मोबाइल सिम कार्ड अपने कब्जे में लेता था और फिर उनका इस्तेमाल बड़ी ऑनलाइन ठगी में करता था।
एक ही गिरोह से जुड़े चार केस
फरसगांव थाना में दर्ज चार अलग-अलग मामलों (क्र. 46/2025, 82/2025, 83/2025, 84/2025) की जांच में यह बात सामने आई कि सभी घटनाओं की कार्यप्रणाली एक जैसी थी। इन सभी मामलों में फर्जी म्यूल एकाउंट का इस्तेमाल कर देश के विभिन्न राज्यों में ऑनलाइन फ्रॉड किया गया।
म्यूल एकाउंट क्या होता है?
म्यूल एकाउंट वह बैंक खाता होता है, जो किसी आम व्यक्ति के नाम पर खोला जाता है, लेकिन उसे असल में स्कैमर कंट्रोल करते हैं। खाताधारक से पहचान पत्र लेकर मामूली रकम देकर ये खाते बनाए जाते हैं, पर बाद में कानूनी कार्रवाई का जिम्मा उस व्यक्ति पर भी आ सकता है, जिसके नाम पर खाता है।
पुलिस की नागरिकों से अपील
फरसगांव पुलिस ने इस कार्रवाई को एक बड़ी उपलब्धि बताया है और सभी नागरिकों से अपील की है कि किसी के कहने या लालच में आकर अपना बैंक खाता, एटीएम, पासबुक या मोबाइल सिम किसी को भी न दें। ऐसा करना आपको साइबर अपराध का सहभागी बना सकता है, जिसकी सज़ा गंभीर हो सकती है।
पुलिस का कहना है कि इस गिरोह से जुड़े और भी नामों का जल्द खुलासा हो सकता है और आगे की जांच जारी है।
